Add To collaction

लेखनी कहानी -05-Jan-2023 (19) खून के आंसू रोना ( मुहावरों की दुनिया )




शीर्षक = खून के आंसू रोना



अपनी माँ द्वारा, सुनाई गयी उस कहानी को मानव अपनी कॉपी में लिख रहा था, लिखते लिखते उसकी नज़र अगले मुहावरें पर गयी जो की था " खून के आंसू रोना "


इस मुहावरें को पढ़ उसे थोड़ा अजीब लगा, क्यूंकि कोई कैसे खून के आंसू रो सकता है, क्या ये मुहावरा किसी ड्राकला या फिर किसी भूत के लिए बनाया है, आखिर कोई कैसे खून के आंसू रो सकता है, ऐसा तो सिर्फ फिल्मों में दिखाते है, जब किसी पर भूत या आत्मा आ जाती है


उस मुहावरें का अर्थ जानने के लिए मानव बेहद उत्सुक था, उसने जल्दी जल्दी अपना काम ख़त्म किया और सोने चला गया, ताकि जल्दी उठ कर अपने दादा से इस मुहावरें का अर्थ जान सके


अगला दिन, वही दिनचर्या शुरू हो जाती है, सब लोग अपने अपने कामों पर लग जाते है, दीन दयाल जी खेत से आकर आँगन में पड़ी खाट पर बैठ जाते है, राधिका और सुष्मा जी भी रसोई घर में नाश्ता बना कर बाहर लाती है


मानव भी नहा धोकर, दादा के पास आकर बैठ जाता है, और कहता है " दादा जी, ये खून के आंसू रोना क्या होता है? क्या सच में आँखों से खून निकलता है "


उसकी बात सुन सब लोग हसने लगे, नही बेटा ये तो सिर्फ एक मुहावरा है, सुष्मा जी ने कहा

"लेकिन कैसे, कोई खून के आंसू रो सकता है, मैंने अक्सर भूत की फिल्मों में देखा है, आँखों से आंसू के बजाये खून निकलते हुए, तो क्या ऐसा असली में भी होता है " मानव ने पूछा


"बेटा इस मुहावरें से तातपर्य ये नही है कि आँखों से आंसुओ के बजाये खून निकले, इससे तातपर्य ये है कि कभी कभी मनुष्य के जीवन में ऐसा समय आता है, जब वो चारों और से परेशानियों में घिर जाता है, तब जो उसकी हालत होती है, उसे ही इस मुहावरें का नाम दिया गया है खून के आंसू रोना


चलो मैं तुम्हे इस प्रकार समझाता हूँ, बेटा क्या तुम्हे 2020 याद है? " दीन दयाल जी ने कहा


"जी दादा जी, वही साल, जिस साल एक महामारी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया था, स्कूल, कॉलेज, दफ्तर सब बंद हो गए थे " मानव ने कहा


"जी बेटा वही साल, तो क्या तुम्हे वो दिन अच्छे लगे थे? " दीन दयाल जी ने कहा


"दादा जी शुरू शुरू तो बहुत मजा आया था, स्कूल, कॉलेज सब बंद हो गए थे, घर से ही पढ़ रहे थे, जो दिल चाह रहा था, कर रहे थे, खाने का जो मन करता वो भी खा रहे थे, लेकिन बाद में थोड़ा अजीब लगने लगा था, जब मम्मी और पापा दोनों से मैं मिल नही पा रहा था, क्यूंकि वो अस्पताल में मरीज़ों की देखभाल कर रहे थे, उसी के साथ मैं भी घर में कैद होकर रह गया, वीडियो गेम से भी मन भर गया था, लेकिन बाद में सब अच्छा हो गया " मानव ने कहा


"बेटा तुम बहुत किस्मत वाले हो, जिसने उन दिनों का भी आंनद लिया, समय पर खाना मिल गया, खेलने को मोबाइल गेम, वीडियो गेम भी था, तुम्हारे मम्मी पापा भी काम पर थे


लेकिन बेटा सब के लिए वो साल एक जैसा नही था, उस साल जो दर्द और तकलीफ अपनों को खोने की , उनसे दूर होने की,भूख से लड़ने की, न चाहते हुए भी अपने बच्चों की पढ़ाई बीच में ही छुड़वा देना क्यूंकि उनके पास इतना पैसा नही था की वो मोबाइल से अपने बच्चों को पढ़ा सके, एक तरफ मौत का मंजर जो की बाहर मंडरा रहा था, दूसरी तरफ भूख, घर में रखे पैसों का ख़त्म होने का डर, अनाज का ख़त्म होना, कोई भी आमदनी न होना, कही से भी कोई उम्मीद नज़र नही आना इन सब बातों के चलते  बहुत सारे लोग खून के आंसू रो रहे थे


इतना बुरा समय शायद ही कभी उन लोगो पर आया होगा, जहाँ अंदर और बाहर मौत का साया मंडरा रहा था, बेटा ये कोई कहानी नही बल्कि आँखो देखी आप बीती है, कही न कही तुमने भी ऐसा ही महसूस किया होगा जब तुम भी अपने मम्मी पापा से और दोस्तों से नही मिल पा रहे थे


तो जरा सोचो उन लोगो पर क्या गुज़र रही होगी, जिनके अपने उनसे दूर थे या फिर उन्हें छोड़ कर जा रहे थे, उस महामारी ने गरीबों को खून के आंसू रुला दिया था उस महामारी की चपेट में आये लोग आज भी अपने पैरों पर सही तरीके से खडे नही हो पा रहे है, क्यूंकि उनका सब कुछ पल भर में बिखर के रह गया था, फिर चाहे वो उनका व्यवसाय हो, उनकी जॉब हो, या फिर उनका किसी अपने का दूर चले जाना, आज भी वो लोग उस समय को याद कर खून के आंसू रोने लगते है "दीन दयाल जी ने कहा


"ठीक कहा दादा जी आपने, मैं भी देख रहा था टीवी पर की किस तरह लोग अपने घरों को जाने के लिए पैदल ही जा रहे थे, मैं भी ऊब गया था घर में रहकर मैं भी अपने दोस्तों से मिलना चाहता था और तो और मम्मी पापा की गोदी में बैठना चाहता था लेकिन वो दोनों मुझसे दूर दूर ही रहते थे, ताकि वायरस मुझे न लग जाए, अब समझ गया दादा जी खून के आंसू रोना किसे कहते है, कही न कही मैं भी तो उन पुराने दिनों को याद कर रो रहा था, जब घर में ही कैद हो कर रह गया था, मेरे भी साथ पढ़ने वाले बहुत से बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी थी, क्यूंकि उनके पास भी शायद पैसे नही थे की वो ऑनलइन पढ़ाई कर सके, और बहुत से बच्चों के माता पिता की जॉब भी चली गयी थी महामारी के चलते " मानव ने कहा


उस बारे में याद कर सबकी आँखे भर आयी थी, तब ही दरवाज़े पर किसी की दस्तक होती है




मुहावरों की दुनिया हेतु 

   8
3 Comments

अदिति झा

07-Feb-2023 11:46 PM

Nice 👌

Reply

Gunjan Kamal

07-Feb-2023 12:57 PM

लाजवाब प्रस्तुति 👌🙏🏻

Reply